10. सनातनपुर के वासी (सनातनपुरेर अधिबासीवृन्द)

 

 

            मुखोपाध्याय गृहिणी बोल पड़ीं, ‘‘अगर इतनी भी बुद्धि न होती तो तुम्हारे पति जाते कैसे? वे जो करेंगे वह क्या तुम्हें साक्षी रख के करेंगे? शैलेश्वर बाबू एक घाघ वकील हैं। उनके साथ चालाकी! पुरुषों को बस में रखने का एक ही उपाय है- उन्हें आँखों के सामने रखना। हमारी गाँगुली दीदी ने जैसा कहा है- आँखों से दूर हुए कि बस!’’