9. राम-नाम, सत्य है (बोलो हरि, हरिबोल)

 

हमलोग श्मशान पहुँच गये थे। अर्थी उतारी गयी। चिता सजायी गयी। शव के ऊपर से कपड़ा हटाकर उसे चिता पर रखे जाते वक्त मैं अचानक बोल पड़ा, ‘‘रुकिये-रुकिये-रुकिये- यह आपके घर कहॉं स आ गयी रमेशबाबू?’’

रमेशबाबू बोले, ‘‘बीमार हालत में इस लड़की ने दो रोज पहले हमारी गौशाला में शरण लिया था। कह रही थी- किसी को खोजने निकली है वह। फिर ज्यादा पूछ-ताछ करने का समय कहाँ था? बेचारी चल बसी। क्यों, क्या बात है?’’

मैं स्तब्ध रह गया।