15. स्त्री-स्वभाव (स्त्री-चरित्र)

 

 मासिक पत्रिका के पन्ने पलटते-पलटते अचानक सुनन्दा की नजर पड़ी- एक कहानी का नाम है ‘‘कहानी नहीं’’। विचित्र नाम है! लेखक का नाम नहीं है। सुनन्दा ने पढ़ना शुरु किया। पढ़ते-पढ़ते क्रमशः सुनन्दा का मन निर्मला नाम्नी लड़की के लिए व्याकुल हो उठा। विश्वनाथ छोकरे पर सुनन्दा को शुरु में थोड़ा क्रोध आया, लेकिन वह क्रोध भी ज्यादा देर नहीं टिका। विश्वनाथ जब जाते समय निर्मला के दोनों हाथ पकड़कर फफक-फफक कर रोने लगा, तब सुनन्दा का क्रोध भी बह गया। विश्वनाथ निर्मला को नहीं पा सका- पाया कादम्बिनी को।