17. मलिक-नौकर (प्रभु-भृत्य)

 

 

   भोर में उठते ही लेकिन मेरी आँखें फटी रह गयीं।

            मूच्छड़ नहीं है।

            कमसिन उम्र की एक ग्वालिन रसोई के दरवाजे पर बैठकर अरिन्दम को दूध मापकर दे रही है और अरिन्दम हर्षोत्फुल्ल नयनों से उसे निहार रहा है।